Saturday 17 September 2011

मुझे याद करना

जब कभी शाम गहराए तो मुझे याद करना,
चांदनी छत पे जो आये तो मुझे याद करना !

महक रही हो बयार, जागे हों अहसास नए,
सर्द हवा छू के जो जाये तो मुझे याद करना !

मेरी तस्वीर सिरहाने से लेकर तुम निहारोगे,
उसमें जब अपना अक्स आये तो मुझे याद करना!

मेरे खतों को तुम पढना और जरा मुस्कुराना,
जब किसी बात पे दिल आये तो मुझे याद करना!

यूं तो हर लम्हा, हरदम मैं तुम्हारे दिल में रहती हूँ,
फिर भी ग़र याद सताए तो मुझे याद करना !

तुम्हारे लब पे हंसी बनके रहूँ वादा है मेरा,
फिर भी कभी ग़म के हो साए तो मुझे याद करना!
 
ख्वाब में एक मुलाकात का वादा हो अपना,
फिर भी जब नींद न आये तो मुझे याद करना!